बुद्ध धम्म में पूर्णिमाओं का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि हर पूर्णिमा को विश्वगुरू तथागत बुद्ध या उनके शिष्यों से संबंधित घटनाएँ जुड़ी हुई है. भरहुत, साँची, अमरावती और कई जगहों पर पाये गये शिल्पों में दर्शाया गया है कि उपासक स्त्री -पुरूष बुद्ध प्रतीकों का चुम्बन कर रहे हैं. इन्हीं प्रतीकों में से चैत्य को ही "बुद्ध" का रूप कहा गया है. चैत्यों में बुद्ध अवशेष होने पर उसे "स्तूप" कहा जाता है.

  • फाल्गुन पौर्णिमा

बोधिसत्व सिद्धार्थ गौतम को घर छोड़े सात साल हो चुके हैं। शुद्धोधन राजा के लिए ईमानदारी से अपने लड़के का विवरण अभी भी स्पष्ट नहीं था। लेकिन सिद्धार्थ गौतम सम्यक सम्बुद्ध बन एक भिक्षुओं के संघ की स्थापना की। वह संघ और दुनिया का ज्ञानी हो गया है। वर्तमान में सम्यक सम्बुद्ध बिम्बिसार राजा द्वारा दान किए गए वेलुवन विहार में रह रहे हैं। इस कहानी को शुद्धोधन ने समझा था।
राजा ने भगवान बुद्ध को कपिलवस्तु लाने के लिए एक राजदूत भेजा । वह भगवान बुद्ध के पास गया और कभी वापस नहीं आया। वह भिक्षु बन गया राजा ने फिर से दो या तीन दूत भेजे। लेकिन वह भी भिक्षु बन गए। बोधिसत्व सिद्धार्थ गौतम के बाल मित्र को राजा द्वारा भगवान बुद्ध को आमंत्रित करने के भेज दिया।
वहां वह गया। लेकिन भगवान बुद्ध के प्रवचनों को सुनने के बाद, वह भी एक भिक्षु बन गया। और भगवान बुद्ध को अपने शिष्यों के साथ कपिलवस्तु ले आया। भगवान बुद्ध शाक्य द्वारा निर्मित न्यग्रोध विहार में रहे। उन्होंने कई बार कपिलवस्तु के लोगों को उपदेश दिया एक बार भिक्षा मांगते हुए भगवान बुद्ध शुद्धोधन के महल में गए। यशोधरा ने तथागत को देखकर पहचान लिया और उसने राहुल से कहा, "राहुल! वह श्रमण तुम्हारे पिता हैं, वहीं बैठे हैं। उनके पास जाओ और विरासत हक़ मांगो" राहुल भाग कर भगवान बुद्ध के सामने आ खड़ा हुआ। भगवान तथागत अपनी आसना से उठ न्याग्रोध विहार गए। राहुल भी उनके पीछे पीछे गया और बोला "पिताजी, मुझे मेरा विरासत हक़ दे दो!"
भगवान ने सारिपुत्र को बुलाया और कहा, यह राहुल है मेरे पास विरासत मांग रहा है। अतः इसे प्रज्ज्वज को दे दो और श्रामणेर करो। फाल्गुन पूर्णिमा दिन ही, राहुल को श्रमनेर द्वारा शुरू किया गया था। इस पूर्णिमा के दिन कपिलवस्तु के लोगो को उन्होंने महासमय सूत्र के बारे में लोगों को उपदेश दिया
और तथागत के सौतेले भाई , महाप्रजापति गौतमी के पुत्र नंद को भी श्रमण ने फाल्गुन पूर्णिमा पर दीक्षा दी थी। सम्राट अशोक द्वारा भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के ढाई सौ साल बाद बौद्ध धम्म को राजधम्म घोषित किया गया 185 ईसा पूर्व में, पुष्यमित्र ने बौद्ध राजा बृहदर्थ की हत्या कर दी और शुंग वंश की स्थापना की ।

यह घटना फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन हुई थी।

  • कार्तिक पूर्णिमा

1. शाक्यमुनि तथागत बुद्ध द्वारा प्रथम 60 अर्हत भिक्खुओं को लोक कल्याण हेतु चारों दिशाओं में जाकर धम्म प्रचार का निम्वनवत शब्दों में आदेश —
"चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय उत्थाए हिताए लोकानुकम्पाय"
2. राजा चक्रवर्ती सम्राट अशोका महान का परिनिब्बान दिवस (मृत्यु).
3. तथागत बुद्ध द्वारा सारिपुत्त की धम्मदीक्षा
4. सारिपुत्त के तीन भाई सुंद, उपसेन व रेवत और तीन बहनें चाला, उपचाला, सिसुपाला की धम्मदीक्षा.
5. सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में अनागारिक धम्मपाल ने 1931 में तक्षशिला से तथागत बुद्ध की धातु (अस्थि अवशेष) को लाकर स्थापित की.

  • श्रावण पूर्णिमा

1. डाकू अंगुलिमाल का धम्मदीक्षा (504 ईसा पूर्व).
2. अनाथपिण्डक (सुदत्त) द्वारा 160 सुक्त मुखोद्गत.
3. बुद्ध धम्म की पहली धम्म संगीति राजगीर के वैभार पर्वत पर सप्तपर्णी गुफा में आरम्भ (483 ईसा पूर्व).

  • आषाढी पूर्णिमा

आषाढी पूर्णिमा में ऐसी चार घटनाए हुए जिनका बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है

1)राणी महामाया का स्वप्
सपने में रानी ने चारों दिशाओं से स्वर्गदूतों को आते देखा। हिमालय के बर्फीले क्षेत्र के पास शाल वन के पास रानी को शाही बिस्तर के साथ उठाते हुए: लेजा के एक सुगंधित फूलों से भरे एक विशाल शाल वृक्ष के निचे रखा। इसके तुरंत बाद, चार स्वर्गदूतों की पत्नियाँ आती हैं। वे रानी को जगाते हैं और उसके शरीर को सुगंधित मलहम से सजाते हैं और उसे नहलाते हैं।
स्नान के बाद सुंदर सुसज्जित कपड़े भेंट करते है । थोड़ी देर बाद, छह दांतों वाला सफेद हाथी वह आता है । इसकी सूंड में सफेद कमल के फूलों की एक माला है| वह रानी के चारों ओर तीन चक्कर लगाता है और अनजाने में रानी के दाहिने कोख में प्रवेश करता है। इसी समय रानी अपने सपने से जाग जाती है और अगली सुबह, रानी महामाया ने राजा को सपने के बारे में बताया फिर उन्होंने स्वप्न की व्याख्या करने के लिए 8 स्वप्न शास्त्रों जैसे शम्मा, ध्वाज, लखन, मन्त्री कोंडाज, भोज सुयम और सुदत्त को अदालत में बुलाया। आखिरकार, जो उन सभी में सबसे पुराना था। उसने राजा को इस सपने का अर्थ समझाया। उसने कहा राजन आप निश्‍चिंत रहे आपके घर जल्द ही राजकुमार जन्म लेगा इस सपने के माध्यम से, पूर्णिमा के दिन रानी महामाया गर्भवती हुईं। इसीलिए इस पूर्णिमा को 'गर्भगंगमलय दिवस ’भी कहा जाता है|
2) गौतम का गृहत्याग
रोहिणी नदी के पानी का उपयोग शाकनाया और कोलिया दोनों अपने-अपने खेतों के लिए करते थे। इससे निपटने के लिए एक संघ की स्तापना की गयी पर इसी संघ का निर्णय न मानाने की वजह से सिद्धार्थ को दंड के रूप में देश त्यागना पड़ा तब उनकी उम्र २९ वर्ष की थी | ये घटना भी आषाढ पौर्णिमा के दिन ही हुई थी |
3) पंच वर्ग के भिक्षु यों की दीक्षा
बोधि प्राप्त करने के बाद तथागत का यह पहला 'धम्मचक्र प्रचार' है। वह स्थान 'सारनाथ' में ऋषिपतन 'मृगदया' वन है.
4) वर्षावास
बारिश के मौसम के तीन महीनों के दौरान, एक भिक्षु के लिए एक बुद्धविहारा में रहने और धम्मदेशना करने के लिए प्रयोजन धम्म में है। वर्षा ऋतु में भिक्षु के बुद्धविहारा में निवास को वर्षावास कहा जाता है। सर्वप्रथम सारनाथ में मृगदया वन में पाँच श्रेणी के भिखुओं को धम्म का ज्ञान दिया। वह दौर बरसात का था। और उसे बौद्ध धम्म की पहले वर्षावास के रूप में जाना जाता है।

  • ज्येष्ठ पूर्णिमा

1) सुजाता की धम्म दीक्षा
2) सम्राट अशोक के पुत्र राजकुमार महिंद्रा का श्रीलंका में धम्म प्रचार के लिए आगमन((252 ईसा पूर्व)
3) अनुराधापुर में भिक्कुनी संघमित्रा द्वारा बोधि वृक्ष शाखा का वृक्षारोपण
4) भिक्खु महामति महिंद्रा (203 ई.पू.) का महापरिनिर्वाण

  • भाद्रपद पूर्णिमा

वर्षावास का आरंभ आषाढ़ी पुर्णिमा से और समापन अश्विन पूर्णिमा को होता हैं । इन चार पुर्णिमा में से तीसरी पूर्णिमा भाद्रपद पूर्णिमा हैं ।
भाद्रपद पूर्णिमा के समय श्रावस्ती विहार में तथागत ठहरे हुये थे,उस समय राजा प्रसन्नजीत तथागत से मिलने वहाँ आये,वहाँ देखकर आश्चर्य हुआ कि डाकू अंगुलिमाल भिक्खु की वेशभूषा में हैं।
अंगुलिमाल के आतंक से तंग आकर राजा ने अपनी सेना उसे पकड़ने के लिये भेजी थी, मगर अंगुलीमाल को सेना पकड़ नही पायी थी।
राजा प्रसन्नजीत ने तथागत से कुशलक्षेम पूछने के पश्चात तथागत से धर्मोपदेश देने की विनंती की तथागत ने जो उपदेश दिये वह प्रमुख मुद्दे इसप्रकार थे ......
1.अपने अच्छे-बुरे काम अपना पीछा करते है इस बात को भलीभांति ध्यान में रखकर काम करना चाहिये।
2.किसी पर अन्याय अत्याचार न हो सभी पर मैत्रीपूर्ण व्यवहार हो।
3.अपनी प्रज्या पर पुत्र के समान प्रेम हो, दिनदुःखी लोगों पर सांत्वना हो।
4.राजकीय जीवन को विशेष महत्व न देते हुये, शरीर को अधिक कष्ठ सहन न करते हुये, माध्यम मार्ग पर जीवन जगो ।
5.खुशमस्करी करने से दूर रहो ।
6.राज धर्म का पालन करते हुऐ राज्य पर शासन करो ।
7.भौतिक सुखकारक दिखने वाली वस्तु क्षणभंगुर नाशवंत होती है ।
8.स्वयं की इच्छा आकांक्षा पर नियंत्रण हो ।
9.धम्म और सदाचारी मार्ग का विचार करे और उसी प्रकार आचरण करे ।

  • अश्विन पूर्णिमा

1. इस पूर्णिमा दिवस पर प्रथम वर्षावास समाप्त हुआ।
2. धम्म के प्रसार के लिए भिक्षुओं ने शुरुआत की थी।
3. बुद्ध ने अभिधम्म का अपना उपदेश महाप्रजापति गौतमी को दिया।

  • वैशाख पूर्णिमा

1. सिद्दार्थ गौतम का जन्म (563 ईसा पूर्व)
2. राजकुमार सिद्धार्थ गौतम और राजकुमारी यशोधरा का विवाह (547 ई.पू.)
3. सिद्दार्थ गौतम को बोधि गया में ज्ञान की प्राप्ति हुई (528 ईसा पूर्व)
4. तथागत के महापरिनिर्वाण (483 ईसा पूर्व)

  • पौष पूर्णिमा

1. 1 लाख लोगों के बुद्ध द्वारा धम्मदीक्षा दी गयी
2. बिम्बिसार राजा द्वारा वेलुवन का दान

नमो बुद्धाय